जिसकी जिह्वा पर 'कृष्ण ' 'कृष्ण ' 'कृष्ण '
यह मंगलमय नाम नृत्य करता रहता है ।
उसकी कोटि कोटि पापराशी तत्काल
भस्म हो जाती है ।
सारे यज्ञ, लाखों व्रत, सब तीर्थ -स्नान, तप,
अनेकों उपवास, हज़ारों पाठ, पृथ्वी
की सैंकङों प्रदक्षिणा 'कृष्णनाम' जप के
सोलहवें हिस्से के बराबर भी
नहीं हो सकती ।
इसलिए निरंतर उनके नाम का कीर्तन श्रवण और
स्मरण करो
जय श्री कृष्ण